मैं आपसे बताता हूँ, आपके भीतर एक परमानंद का फव्वारा है, प्रसन्नता का झरना है. आपके मूल के भीतर सत्य,प्रकाश, प्रेम है, वहां कोई अपराध बोध नहीं है, वहां कोई डर नहीं है. मनोवैज्ञानिकों ने कभी इतनी गहराई में नहीं… Read more ›
मैं आपसे बताता हूँ, आपके भीतर एक परमानंद का फव्वारा है, प्रसन्नता का झरना है. आपके मूल के भीतर सत्य,प्रकाश, प्रेम है, वहां कोई अपराध बोध नहीं है, वहां कोई डर नहीं है. मनोवैज्ञानिकों ने कभी इतनी गहराई में नहीं… Read more ›